लाडली बहन योजना के लिए सरकार ने फिर किए विभागीय फंड ट्रांसफर, आदिवासी और सामाजिक न्याय विभाग से ली रकम ।


मुंबई — महाराष्ट्र सरकार की महत्वाकांक्षी 'लाडली बहन योजना' के संचालन के लिए सरकार को लगातार अन्य विभागों के फंड्स का सहारा लेना पड़ रहा है। योजना की अगली किश्त जारी करने के लिए इस बार आदिवासी विकास विभाग से 335.70 करोड़ रुपये की राशि महिला एवं बाल विकास विभाग को ट्रांसफर की गई है।

इससे पहले अप्रैल माह की किश्त जारी करने के लिए सरकार ने

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति विभाग से 410 करोड़ रुपये डायवर्ट किए थे।

'लाडली बहन योजना' की शुरुआत पिछले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने की थी। इस योजना के तहत पात्र महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये दिए गए। चुनाव प्रचार के दौरान महायुति गठबंधन ने वादा किया था कि यदि उनकी सरकार दोबारा बनी, तो यह राशि बढ़ाकर 2100 रुपये कर दी जाएगी।

अब यह योजना सरकार के लिए वित्तीय बोझ बनती जा रही है। हर माह लाभार्थियों को भुगतान सुनिश्चित करने के लिए सरकार को विभागीय बजट में फेरबदल करना पड़ रहा है।

साल 2025-26 के बजट में अनुसूचित जनजाति योजना के तहत 21,495 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जिसमें से आदिवासी विकास विभाग को मिले 3,420 करोड़ के सहायक अनुदान से मई के लिए 335.70 करोड़ रुपये इस योजना में ट्रांसफर किए गए हैं।

इस फंड ट्रांसफर पर सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट ने नाराज़गी जाहिर की है। उन्होंने कहा, “अगर सरकार को सामाजिक न्याय विभाग की जरूरत ही नहीं है, तो उसे बंद क्यों नहीं कर देती?” मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार उनके विभाग की उपेक्षा कर रही है।


अगर आप इसे किसी न्यूज़ बुलेटिन या वीडियो स्क्रिप्ट के लिए चाहते हैं, तो मैं उस शैली में भी इसे बदल सकता हूँ।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ