भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में तनाव चरम पर पहुंच गया था। दोनों देशों के बीच ड्रोन हमलों की खबरें सामने आईं, और इसी बीच यह जानकारी भी आई कि पाकिस्तान को ड्रोन तुर्किये द्वारा मुहैया कराए गए हैं। यह वही तुर्किये है, जिसे भारत ने कई बार मानवीय और आर्थिक सहायता प्रदान की है।
तुर्किये के इस कदम को भारत में विश्वासघात और दोस्ती में धोखा करार दिया जा रहा है। इसका असर अब जमीन पर भी दिखने लगा है। भारतीय पर्यटकों द्वारा तुर्किये और अजरबैजान की यात्रा रद्द की जा रही है। बीते छह दिनों में ही भारत से तुर्किये की 50% से अधिक बुकिंग्स कैंसिल हो चुकी हैं।
ट्रैवल कंपनी MMT के प्रवक्ता ने बताया कि “भारतीयों ने तुर्किये और अजरबैजान का पूरी तरह से बहिष्कार करना शुरू कर दिया है। हमारी कंपनी ने इन दोनों देशों से जुड़े सभी ट्रैवल ऑफर्स को हटा दिया है।” उन्होंने कहा कि हम अपने देश और सेना के साथ खड़े हैं।
JNU और व्यापारी संगठन भी शामिल हुए बहिष्कार में
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) ने भी तुर्किये का विरोध करते हुए, वहां की इनोनू यूनिवर्सिटी के साथ चल रहे सभी शैक्षणिक करार को समाप्त कर दिया है। JNU ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “नेशन फर्स्ट - हम देश के साथ खड़े हैं।”
वहीं देश के व्यापारिक संगठन ‘कन्फ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स’ (CAIT) ने तुर्किये, चीन और अजरबैजान के बहिष्कार की मांग की है। संगठन के राष्ट्रीय महामंत्री और सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि वे ट्रैवल एंड टूर ऑपरेटर्स के साथ मिलकर इस अभियान को और तेज करेंगे। उन्होंने कहा, “2024 में तुर्किये में कुल 62.2 मिलियन विदेशी पर्यटक आए थे, जिनमें से करीब 3 लाख भारतीय थे। इस बहिष्कार से निश्चित रूप से तुर्किये की पर्यटन अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी।”
व्यापार पर भी असर, भारतीय व्यापारियों ने तुर्की से सेब लेने से किया इनकार
भारत और तुर्किये के बीच व्यापार भी अब प्रभावित हो रहा है। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत ने तुर्किये से 3.78 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आयात किया था। इसमें खनिज ईंधन, नमक, अकार्बनिक रसायन, परमाणु रिएक्टर के पुर्जे, पशु उत्पाद और कीमती पत्थर शामिल थे।
अब भारतीय व्यापारियों ने तुर्किये से सेब जैसे कृषि उत्पाद मंगाने से भी इनकार कर दिया है। व्यापारियों का कहना है कि जो देश भारत के दुश्मनों को हथियार देता है, उससे व्यापार नहीं किया जाएगा।
निष्कर्ष
भारत का यह ट्रैवल और ट्रेड बहिष्कार तुर्किये के लिए आर्थिक और कूटनीतिक रूप से बड़ा झटका साबित हो सकता है। फिलहाल भारत में ‘नेशन फर्स्ट’ की भावना के साथ लोग एकजुट होते नजर आ रहे हैं।
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