भारत का पाकिस्तान के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा कदम, सिंधु जल समझौता निलंबित, अटारी चेक पोस्ट बंद।



नई दिल्ली। पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों पर हुए कायराना आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए बुधवार को पांच बड़े फैसले किए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (CCS) की ढाई घंटे लंबी बैठक में यह निर्णय लिए गए, जिन्हें सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई माना जा रहा है।

बैठक के बाद विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि भारत ने वर्ष 1960 में पाकिस्तान के साथ हुए सिंधु जल समझौते को निलंबित करने का निर्णय लिया है। यह समझौता तब तक निलंबित रहेगा जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद पर ठोस कार्रवाई नहीं करता। यह पहली बार है जब भारत ने इस समझौते को निलंबित किया है, जबकि पूर्व में युद्ध जैसी स्थिति में भी यह समझौता कायम रहा था।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर असर

इस निर्णय से पहले से ही संकट में चल रही पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और अधिक चरमरा सकती है, क्योंकि सिंधु जल समझौते के तहत साझा छह नदियों के जल के बंटवारे का प्रावधान है।

सीमा पर सख्ती: अटारी चेक पोस्ट तत्काल प्रभाव से बंद

CCS के दूसरे अहम निर्णय के तहत, पंजाब में स्थित अटारी चेक पोस्ट को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया है। भारत में अटारी के रास्ते प्रवेश कर चुके पाकिस्तानी नागरिकों को एक मई, 2025 तक देश छोड़ने का निर्देश दिया गया है।

सार्क वीजा छूट योजना समाप्त

तीसरे फैसले में सार्क वीजा एक्जेंप्शन स्कीम (SVES) के तहत पाकिस्तानी नागरिकों को दी जा रही वीजा छूट समाप्त कर दी गई है। पत्रकारों, उद्योगपतियों, कलाकारों और राजनेताओं को मिलने वाली यह सुविधा अब तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी गई है। भारत में इस स्कीम के तहत मौजूद पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने को कहा गया है।

पाकिस्तानी सैन्य सलाहकारों को अवांछित घोषित

चौथे निर्णय में भारत ने पाकिस्तानी उच्चायोग में तैनात सैन्य, नौसेना और वायुसेना सलाहकारों को ‘पर्सन नॉन ग्राटा’ घोषित करते हुए उन्हें एक सप्ताह के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया है। इसके साथ ही भारत ने इस्लामाबाद स्थित अपने दूतावास से भी समान पदों पर तैनात अधिकारियों को वापस बुला लिया है।

राजनयिक कर्मचारियों की संख्या में कटौती

पाँचवां और अंतिम फैसला पाकिस्तान उच्चायोग में तैनात कर्मचारियों की संख्या 55 से घटाकर 30 करने का है। यह निर्णय भारत द्वारा पाकिस्तान के साथ अपने राजनयिक संबंधों को न्यूनतम स्तर पर ले जाने के संकेत देता है।

बैठक में हुआ बड़ा मंथन

बैठक में पीएम मोदी के अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, एनएसए अजीत डोभाल समेत देश के शीर्ष सुरक्षा अधिकारी शामिल रहे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहले ही तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ बैठक कर तैयारियों की समीक्षा कर चुके थे।

विदेश सचिव ने कहा कि भारत को इस हमले के बाद वैश्विक समर्थन मिला है और यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति की पुष्टि करता है।






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