मुंबई: महाराष्ट्र में अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ चल रही कार्रवाई के तहत नवी मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच को बड़ी सफलता मिली है। जांच में सामने आया है कि कई संदिग्धों के पास बांग्लादेश सीमा से सटे पश्चिम बंगाल के जिलों के सरपंचों द्वारा जारी किए गए फर्जी जन्म प्रमाण पत्र हैं। इन प्रमाण पत्रों में सीरियल नंबर नहीं होते, जिससे उनकी वैधता की पुष्टि करना कठिन हो जाता है।
क्राइम ब्रांच की कई टीमों ने अब तक 1,200 से अधिक ऐसे दस्तावेजों की जांच की है। इसके लिए अधिकारियों ने पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों—खासकर मालदा, उत्तर 24 परगना और मुर्शिदाबाद—की यात्रा भी की है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, बीते चार महीनों से नवी मुंबई में अवैध घुसपैठियों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है, जिससे घबराकर कई लोग शहर छोड़कर भाग चुके हैं।
अब तक करीब 7,000 लोगों के दस्तावेजों की जांच की जा चुकी है, जिनमें से लगभग 1,250 मामलों में बांग्लादेशी नागरिक होने का संदेह जताया गया है। क्राइम ब्रांच का दावा है कि कई संदिग्धों ने स्थानीय सरपंचों की मदद से फर्जी जन्म प्रमाण पत्र हासिल किए हैं, जिनके आधार पर वे आधार कार्ड और राशन कार्ड जैसे अन्य भारतीय दस्तावेज प्राप्त कर लेते हैं।
एसीपी अजय कुमार लांडगे ने बताया कि बंगाल के संबंधित जिलों के प्रशासन और पुलिस को पत्र लिखकर इन संदिग्ध दस्तावेजों की पुष्टि के लिए संपर्क किया गया है। हालांकि, अभी तक किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
क्राइम ब्रांच के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अब तक जांच किए गए 187 जन्म प्रमाण पत्रों में से चार पूरी तरह से फर्जी पाए गए हैं। संबंधित सरपंचों ने भी पुष्टि की है कि ये प्रमाण पत्र उनके कार्यालय द्वारा जारी नहीं किए गए थे।
जांच अधिकारियों का मानना है कि यह एक संगठित नेटवर्क है जो बंगाल के सीमावर्ती इलाकों से संचालित हो रहा है। इसमें स्थानीय एजेंटों की भी भूमिका है जो अवैध नागरिकों को दस्तावेज हासिल करने में मदद करते हैं।
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