मुंबई, 23 अप्रैल: मुंबई के एसएल रहेजा हॉस्पिटल, माहिम में एक ऐतिहासिक चिकित्सा प्रक्रिया को अंजाम दिया गया। 92 वर्षीय सेवानिवृत्त शिक्षिका एलिजाबेथ फिजार्डो को लीडलेस पेसमेकर प्रत्यारोपित किया गया – जो अपने आप में एक दुर्लभ प्रक्रिया है और मुंबई में इस तरह का पहला मामला बताया जा रहा है।
एलिजाबेथ जी की तबीयत बिगड़ने के बाद, डॉक्टरों ने जांच कर बताया कि उन्हें हार्ट ब्लॉक है और पेसमेकर की ज़रूरत है। उन्होंने पारंपरिक पेसमेकर के बजाय लीडलेस पेसमेकर का विकल्प चुना, जो गर्दन की नस से सीधे दिल में प्रत्यारोपित किया जाता है – बिना किसी चीरे या बड़े ऑपरेशन के।
इस प्रक्रिया को और खास बना दिया डॉक्टर हर्ष मेहता ने – जो कभी एलिजाबेथ जी के छात्र रहे थे। उनके साथ डॉ. कायन सियोदिया और डॉ. राघव नागपाल भी टीम में शामिल थे।
डॉक्टरों के मुताबिक, लीडलेस पेसमेकर छोटा, कॉम्पैक्ट और कम इनवेसिव होता है, जिससे यह वृद्ध और छोटे शरीर वाले मरीजों के लिए आदर्श बनता है।
आज एलिजाबेथ पूरी तरह स्वस्थ हैं और उनका परिवार उनके साथ हर पल को खास बना रहा है। और यही नहीं, उनके द्वारा पढ़ाया गया एक छात्र ही उनके जीवन का रक्षक बना – एक भावुक और प्रेरणादायक कहानी, जो दिल को छू जाती है।
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